कितनी राहत है दिल टूट जाने के बाद
ज़िंदगी से मिले मौत आने के बाद
लज़्ज़त-ए-सजदा-ए-सन्ग-ए-दर क्या कहें (उसकी चौखट पर सर झुकाने का मज़ा)
होश ही कब रहा सर झुकाने के बाद
क्या हुआ हर मसर्रर्त (खुशी) अगर छिन गई
आदमी बन गया गम उठाने के बाद
रात का माजरा किस से पूछें "शमीम"
क्या बनी बज़्म पर मेरे आने के बाद
The image is another ghazal by Shamim Jaipuri.
Edit: My apologies. Now that I read the ghazal fully (my speed is pathetic) the Shayar's name is Hasan. But it's a lovely ghazal so I am gonna leave the image unharmed.
Kabhi kitaabon mein phool rakhna kabhi darakhton pe naam likhna,
Hamein bhi hai yaad aaj tak wo nazar se harf-e-salaam likna.
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