एक पल में एक सदी का मज़ा हम से पूछिए
दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हम से पूछिए
भूलें है रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों मे ख़ुदकुशी का मज़ा हम से पूछिए
आगाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हम से पूछिए
वो जान ही गये कि हमें उनसे प्यार है
आँखों की मुखबरी का मज़ा हम से पूछिए
जलते दिलों मे जलते घरों जैसा ज़व कहाँ
सरकार रौशनी का मज़ा हम से पूछिए
हँसने का शौक हम को भी था आप कि तरह
हँसिए मगर हँसी का मज़ा हम से पूछिए
हम तौबा कर के मर गए कब्ल अज़ल-ए-क़ुमार
तौहीन-ए-मैकशी का मज़ा हम से पूछिए
4 comments:
wah sir ji bahut khooob ...
Bikram's
Yes, it's a lovely ghazal. Too bad I don't know who wrote it.
very nice. Found it easier to follow than some of the other ghazals that you present sometimes.
AH, glad you liked it. It's not really up to me, it's the Urdu shayars. I just pick one where the sentiment really stirs me, sometimes those have difficult Urdu words. But that's why we have the Shayri 101 series. My own Urdu improved tremendously over the years because of my passion for shayri. :)
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