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Monday, December 26, 2022

A few sher's from a Daag Dehavi Ghazal



ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा

ऐसे आने से तो बेहतर था आना तेरा


तू जो ज़ुल्फ़ परेशान रहा करती है

किस के उजड़े हुए दिल में है ठिकाना तेरा


आरज़ू ही रही सुब्ह-ए-वतन की मुझ को

शाम-ए-ग़ुर्बत है अजब वक़्त सुहाना तेरा



 Text courtesy of: Rekhta

Picture courtesy: Pixabay

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