Here is a ghazal for that kind of mood.
दिल में एक लहर से उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी (Favourite)
कुछ तो नाज़ुक मिजाज़ हैं हम भी
और ये चोट भी नयी है अभी
शोर बरपा है खाना-ए-दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभी
तू शरीके-सुखन नहीं है तो क्या
हम सुखं तेरी ख़ामोशी है अभी
याद के बेनिशाँ जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही है अभी
वक़्त अच्छा भी आएगा 'नासिर'
ग़म न कर ज़िन्दगी पड़ी है अभी
Here is a Youtube link for this ghazal in ustad Ghulam Ali's voice.
https://www.youtube.com/watch?v=VoAlBP16mG8

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