चल रही थी बात, प्रियतमा थी साथ,
प्रियतमा थी साथ, चल रही थी बात,
दर्द की.
दर्द की बात थी हमने कहा,
प्रिये दर्द बहुत तड़पाता है,
न खाया जाता है, न सोया जाता है.
प्रियतमा थी साथ, चल रही थी बात,
दर्द की.
दर्द की बात थी हमने कहा,
प्रिये दर्द बहुत तड़पाता है,
न खाया जाता है, न सोया जाता है.
वह सकुचाई, शरमाई, हौले से मुस्कुराई,
और बोली, दर्द तो सबको होता है,
प्यार में कौन चैन से सोता है,
वही दर्द तो हमें भी सताता है,
तुम्हारे बिना कहाँ रहा जाता है!
हम चौंके, "कहाँ बह रही हो?
क्यों बेतुकी बात कह रही हो?
दो लोगों को वही दर्द,
यह कहाँ सुनाई पड़ा है?
सच कहो, क्या तुम्हारा भी दांत सड़ा है?"
क्यों बेतुकी बात कह रही हो?
दो लोगों को वही दर्द,
यह कहाँ सुनाई पड़ा है?
सच कहो, क्या तुम्हारा भी दांत सड़ा है?"
अब चौंकने की उसकी बारी थी
त्यौरी पर पूरी युद्ध कि तैयारी थी
बोली, "तुम भी कितने अजीब हो,
कल्पनाशक्ति से गरीब हो!
मेरे दिल में प्यार मोहब्बत की बात है,
तुम्हारे दिमाग में सड़ा हुआ दांत है!"
आह भर कर हमने बताया,
दर्द ने कितना सताया,
"हाँ प्रिये, मैं सचमुच बड़ा अभागा हूँ,
तुम्हारी नहीं, डेंटिस्ट की याद में रात भर जागा हूँ!"
"हाँ प्रिये, मैं सचमुच बड़ा अभागा हूँ,
तुम्हारी नहीं, डेंटिस्ट की याद में रात भर जागा हूँ!"
वह रूठ कर चल दी कि, "अच्छा तो जाओ,
डेंटिस्ट से ही जाकर नज़र मिलाओ.
तुम तो दिल से ज्यादा दांत के सहारे हो,
इसीलिए शायद अब तक कुंवारे हो!"
डेंटिस्ट से ही जाकर नज़र मिलाओ.
तुम तो दिल से ज्यादा दांत के सहारे हो,
इसीलिए शायद अब तक कुंवारे हो!"
- सुनील गोस्वामी
2 comments:
LOL! An interesting read. I guess, you must have written this when you were suffering from an toothache in real?
Thanks.
Of course. You need an outlet to express your pain. I suffer for my art! :)
Post a Comment