After giving due credit, here are the lines that compelled me to post:
" निकल आते हैं आंसू हंसते-हंसते,
ये किस गम की कसक है हर खुशी में
गुजर जाती है यूं ही उम्र सारी;
किसी को ढूँढते है हम किसी में.
बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी;
सलीका चाहिए आवारगी में."
ये किस गम की कसक है हर खुशी में
गुजर जाती है यूं ही उम्र सारी;
किसी को ढूँढते है हम किसी में.
बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी;
सलीका चाहिए आवारगी में."
और इन पंक्तियों को पढ़कर अगर मुँह से "वाह" ना निकले तो अपनी नब्ज़ ज़रूर एक बार चैक करवा लें.
" फासला नज़रों का धोखा भी हो सकता है,
चाँद जब चमकें तो जरा हाथ बढाकर देखो.."
चाँद जब चमकें तो जरा हाथ बढाकर देखो.."
For my English-reading readers, the poet says,
"The distance may very well be an illusion of the eyes,
When the Moon is shining, just try to reach out.."
No, I won't dissect it for you. :)
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