You might also like...

Monday, December 19, 2011

Sachchi Shiksha



[I was planning to do a blog post on this topic (which I still might do later) but when I woke up this morning the inspiration in my head was more towards poetry than prose. Result is this poem. I take no responsibility for what happens if you follow it like a life philosophy. Or if you don’t. ;)  ]





नया ज़माना आया प्यारे इसके नये उसूल,
झूठ के ढोल बजाओ भाई, सच को जाओ भूल,

सच को जाओ भूल यही दस्तूर है प्यारो,
सच की फीकी दाल में यारो, थोड़ा झूठ का तड़का मारो.

बारह आने सच्चाई के चार आने का झूठ,
खुल्ली लूट मची है प्यारे लूट सके तो लूट.

लूट सके तो लूट, बहुत मौके हैं प्यारे,
बेईमानी की चाबी पकड़ो खुल जाएँगे ताले सारे.

दस्तूर जहाँ दस्तूरी का हो, सच्चाई का राग ना गाओ
भाषण तो घर जा कर देना, पैसा फेंको काम कराओ

पैसा फेंको काम कराओ, चाहे नौकरी या हो तरक्की,
चोर चोर मौसेरे भाई, अपनी दोस्ती सबसे पक्की.

सच की राह तुम चलो हमेशा बच्चों को यह पाठ पढ़ाओ,
Admission  का समय जब आए, donation दो entry पाओ.

donation दो entry पाओ. , मत सब को उपदेश सुनाओ,
'खाओ और खाने दो' का तुम नया मूल मन्त्र अपनाओ.

सच्चाई की राह चले तो काँटे ही राहों में होंगे,
बेइमानी की खाद लगाओ, फूल उगाओ खुशबू पाओ.

सूखी रोटी सच्चाई की कब तक पानी से खाओगे,
बेईमानी का मक्खन मारो अपना जीवन सरल बनाओ.


5 comments:

Bikram said...

so very true .. bribe and bribe the right person :)

i loved the poem

Bikram's

Sunil Goswami said...

Thanks, Bikram. Glad you liked it. :)

Irfanuddin said...

so you mean to be practical in life.....:)

i really want to learn this act.....

Sunil Goswami said...

Definitely, Irfan ji, but I am realizing the need for it.

Anonymous said...

nice one, you can read even some related motivational stuff that i have come across during my readings http://inspiringbeans.com/detail/article/Article/peons-daughter-makes-it-ias/